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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सरकार दे रही बढावा – दीपक कुमार , आईटीएम महराजगंज

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महराजगंज । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता।इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थी के अनुसार यह बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है अर्थात यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित किया गया इंटेलिजेंस है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह इंटेलिजेंस तरीके से सोचने वाला सॉफ़्टवेयर बनाने का एक तरीका है। यह इसके बारे में अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता।
सरल शब्दों में कहें तो इस विषय पर स्टार वार, मैट्रिक्स, आई रोबोट, टर्मिनेटर, ब्लेड रनर जैसी हॉलीवुड फ़िल्में बन चुकी हैं, जिनसे आपको यह पता चल सकता है कि आखिर यह है क्या बला। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाला सिस्टम 1997 में शतरंज के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में शुमार गैरी कास्पोरोव को हरा चुका है।

सरकार दे रही बढ़ावा

राष्ट्रीय स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने के लिये नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इसमें सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा शिक्षाविदों तथा उद्योग जगत को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
वर्तमान बजट में सरकार ने फिफ्थ जनरेशन टेक्नोलॉजी स्टार्ट अप के लिये 480 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3-D प्रिंटिंग और ब्लॉक चेन शामिल हैं।
इसके अलावा सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, बिग डाटा इंटेलिजेंस, रियल टाइम डाटा और क्वांटम कम्युनिकेशन के क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण, मानव संसाधन और कौशल विकास को बढ़ावा देने के योजना बना रही है।
ऐसे हुई थी शुरुआत
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरंभ 1950 के दशक में ही हो गया था, लेकिन इसकी महत्ता को 1970 के दशक में पहचान मिली। जापान ने सबसे पहले इस ओर पहल की और 1981 में फिफ्थ जनरेशन नामक योजना की शुरुआत की थी। इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी।
इसके बाद अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया। ब्रिटेन ने इसके लिये ‘एल्वी’ नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया। यूरोपीय संघ के देशों ने भी ‘एस्प्रिट’ नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर 7-सूत्री रणनीति
इससे पहले पिछले वर्ष अक्टूबर में केंद्र सरकार ने 7-सूत्री रणनीति तैयार की थी, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने के लिये भारत की सामरिक योजना का आधार तैयार करेगी। इनमें प्रमुख हैं:
मानव मशीन की बातचीत के लिये विकासशील विधियाँ बनाना।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ एक सक्षम कार्यबल का निर्माण करना।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक, कानूनी और सामाजिक निहितार्थों को समझना तथा उन पर काम करना।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी को मानक मानकर और बेंचमार्क के माध्यम से मापन का मूल्यांकन करना।
टेक्नोलॉजिकल सिंगुलैरिटी

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर विशेषज्ञ ‘टेक्नोलॉजिकल सिंगुलैरिटी’ यानी तकनीकी एकलता जैसी किसी स्थिति के आगमन की ओर संकेत करते हैं। यह दो बातों को संदर्भित करता है:
भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रचना की जाएगी, जो कि मनुष्यों के मस्तिष्क से अधिक तीक्ष्ण है। यह बुद्धिमत्ता समस्याओं के समाधान बहुत तीव्रता से कर सकेगी, जो कि मनुष्य की क्षमता से परे है।
माना जाता है कि 2045 तक मशीनें स्वयं सीखने और स्वयं को सुधारने में सक्षम हो जाएंगी और इतनी तेज़ गति से सोचने, समझने और काम करने लगेंगी कि मानव विकास का पथ हमेशा के लिये बदल जाएगा।

भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संभावनाएँ

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत में शैशवावस्था में है और देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें इसे लेकर प्रयोग किये जा सकते हैं। देश के विकास में इसकी संभावनाओं को देखते हुए उद्योग जगत ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है।

सरकार भी चाहती है कि सुशासन के लिहाज़ से देश में जहां संभव हो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाए। सरकार ने उद्योग जगत से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के लिये एक मॉडल बनाने में सहयोग करने की अपील की है। उद्योग जगत ने सरकार से इसके लिये कुछ बिंदुओं पर फोकस करने को कहा है:

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये देश में एक अथॉरिटी बने जो इसके नियम-कायदे तय करे और पूरे क्षेत्र की निगरानी करे। सरकार उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ प्राथमिकता के आधार पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, कृषि आदि इसके लिये उपयुक्त क्षेत्र हो सकते हैं।
क्लीन डाटा की ज़रूरत
उद्योग जगत यह मानता है कि सभी क्षेत्रों के लिये सॉल्यूशन तैयार करने हेतु सर्वप्रथम क्लीन डाटा की आवश्यकता होगी और इस दिशा में सरकार को समुचित कदम उठाने होंगे। सरकार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के लिये नीतिगत प्राथमिकताएँ भी तय करनी होंगी। इससे उन क्षेत्रों के लिये रणनीति बनाने में आसानी होगी जिसकी देश को सर्वप्रथम आवश्यकता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रमुख अनुप्रयोग

प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण
प्रवीण प्रणाली
दृष्टि प्रणाली
वाक् पहचान
बुद्धिमान रोबोट
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रकार

पूर्णतः प्रतिक्रियात्मक
सीमित स्मृति
मस्तिष्क सिद्धांत
आत्म-चेतन
क्यों ज़रूरी है सावधानी बरतना ?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हमारे रहने और कार्य करने के तरीकों में व्यापक बदलाव आएगा।
रोबोटिक्स और वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीकों से उत्पादन और निर्माण के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा।
ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में बताया गया है कि केवल अमेरिका में अगले दो दशकों में डेढ़ लाख रोज़गार खत्म हो जाएंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस युक्त मशीनों से जितने फायदे हैं, उतने ही खतरे भी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने-समझने वाले रोबोट अगर किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगें, तो मानवता के लिये खतरा पैदा हो सकता है। सभी मशीनें और हथियार बगावत कर सकते हैं। ऐसी स्थिति की कल्पना हॉलीवुड की ‘टर्मिनेटर’ फिल्म में की गई है।

चीन में क्या है स्थिति?

चीन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर केंद्रित एक अनुसंधान प्रयोगशाला खोलने के बाद गूगल ने अपना एक और कार्यालय खोला है। गूगल का यह नया कार्यालय शेनझेन शहर में है। शेनझेन शहर में गूगल के कई उपभोक्ता और साझेदार हैं और उनके साथ अच्छे से कार्य और संवाद कायम करने के लिये एक ई-सूट कार्यालय स्थापित किया गया है। चीन में गूगल का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंटर बुद्धिमत्ता सम्मेलन और कार्यशालाओं को प्रायोजित करके कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुसंधान समुदाय को प्रोत्साहन दे रहा है। यह एशिया का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंटर है।
इस सवाल का जवाब वर्तमान परिस्थितियों में दे पाना संभव नहीं है। जब इनका प्रयोग होने लगेगा तब यह समझना कि कैसे किसी कार्य क्षेत्र में बुद्धिमान मशीनों का कुशलता से उपयोग हो सकता है, सफलता के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाएगा। एक कुशल शिल्पकार, कलाकार, लेखक, संगीतकार, अध्यापक या डॉक्टर को बुद्धिमान मशीनों के युग में रोज़गार तो मिलेगा, पर बुद्धिमान मशीनों का व्यवसाय में दक्षता से प्रयोग उनके कौशल को और निखारेगा। सबसे ज़्यादा सफल तो वे होंगे जो एकदम नए उत्पाद, सेवाओं और उद्योगों की कल्पना करने में सक्षम होंगे।

दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक जटिल विषय है, अतः सबसे पहले इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभावों के संबंध में एक समग्र अध्ययन करना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर सरकार को सतर्क रहना होगा। मशीनीकरण के माध्यम से आए परिवर्तनों से सर्वाधिक प्रभावित वे समूह होते हैं जो अपनी कौशल क्षमता में निश्चित समय के भीतर वांछनीय सुधार लाने में असमर्थ होते हैं। अतः सरकार को चाहिये कि ऐसे लोगों को पर्याप्त प्रशिक्षण देने के लिये समय के साथ-साथ संसाधन भी उपलब्ध कराए। तकनीकों के इस बदलते दौर में ज़रूरत इस बात की है कि विशेषज्ञतापूर्ण कार्यों के लिये लोगों को कौशल दिया जाए और इसके लिये अवसंरचना का भी विकास किया जाए।

निष्कर्ष: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विगत कई दशकों से चर्चा के केंद्र में रहा एक ज्वलंत विषय है। वैज्ञानिक इसके अच्छे और बुरे परिणामों को लेकर समय-समय पर विचार-विमर्श करते रहते हैं। आज दुनिया तकनीक के माध्यम से तेज़ी से बदल रही है। विकास को गति देने और लोगों को बेहतर सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये प्रत्येक क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण और भूमंडलीकरण ने जहाँ विकास की गति को तेज़ किया है, वहीं इसने कई नई समस्याओं को भी जन्म दिया है, जिनका समाधान करने के लिये नित नए समाधान सामने आते रहते हैं। जहाँ वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनेकानेक लाभ गिनाते हैं, वहीं वे यह भी मानते हैं कि इसके आने से सबसे बड़ा नुकसान मनुष्यों को ही होगा, क्योंकि उनका काम मशीनों से लिया जाएगा, जो स्वयं ही निर्णय लेने लगेंगी और उन पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो वे मानव सभ्यता के लिये हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे में इनके इस्तेमाल से पहले लाभ और हानि दोनों को संतुलित करने के आवश्यकता होगी।

लेखक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एक्स्पर्ट है।

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भयमुक्त व निष्पक्ष चुनाव को लेकर जिले में धारा 144 लागू,जिलाप्रशासन मुस्तैद

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लोकतंत्र न्यूज़ नेटवर्क, सिवान-;
आसन्न लोकसभा आम निर्वाचन 2024 के निमित चुनाव प्रचार की अवधि समाप्त होने के अवसर पर आज दिनांक 23/05/2024 को समाहरणालय स्थित सभागार में अपराहन 06 बजे से जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी सिवान तथा पुलिस अधीक्षक सिवान द्वारा प्रिंट एवम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधियो के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया। जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मीडिया का ध्यान आकृष्ट किया। यथा –
तीन स्तरीय सुरक्षा के बीच मतदान केंद्रों पर डाले जायेंगे वोट।

  • प्रेस वार्ता में उन्होने स्पष्ट किया कि-सुबह 07 बजे से शाम 06 बजे तक डाले जा सकेंगे वोट।
    सीवान जिला में छठवें चरण में 25 मई 2024 को होनेवाले मतदान को लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है।सभी मतदाताओं के घर तक मतदाता पर्ची वितरित करने का कार्य पूरा कर लिया गया है।यह पर्ची मतदान के लिये अनिवार्य नहीं है,इसके बिना भी किसी को मतदान से वंचित नहीं किया जा सकता है। चुनाव प्रचार शाम पांच बजे समाप्त हो गया। धारा 144 पूरी तरह प्रभावी है। असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।मतदान केंद्रों पर तीन स्तरीय सुरक्षा के इंतजाम होंगे। इसमें अर्धसैनिक बल, जिला पुलिस व होमगार्ड की तैनाती रहेगी।. जिले के होटलों व लॉज में सघन जांच अभियान चलाया जा रहा है।जिससे की किसी भी तरह के संदिग्ध लोगों की पहचान कर त्वरित कार्रवाई की जा सके।जिले के 1015 संवेदनशील स्थानों को चिह्नित किया गया है, जहां विशेष नजर रखी जा रही है।.इन स्थानों पर केंद्रीय सशस्र बलों को तैनात किया जायेगा। अब तक 14 हजार 436 लोगों से बांड भरवाये जा चुके है ,पुलिस कार्रवाई के दौरान 17 अवैध हथियार व 38 कारतूस जब्त किये गये है,79 हजार 979 लीटर शराब जब्त किये गये है।

मतदान के दिन के लिये विधानसभावार कंट्रोल रूम बनाये गये हैं ।जहां से मतदान से संबंधित किसी भी तरह की शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई की जायेगी ।.आंबेडकर भवन में बनाये गये कंट्रोल रूम में वरीय पदाधिकारी तैनात किये गये हैं,विधानसभा क्षेत्र सीवान सदर के कंट्रोल रूम का फोन नं. 06154 242000 तथा जीरादेई कंट्रोल रूम का फोन नं.06154242310 है. जिसके इंचार्ज वरीय उप समाहर्ता विकास कुमार को बनाया गया है,जिनका मोबाइल नंबर 9315979531 है।. इसी तरह दरौली कंट्रोल रूम का नंबर 06154 242410 व रघुनाथपुर के लिये 06154 242420 है.जिसकी प्रभारी डीपीओ आईसीडीएस श्रीमति तारणी कुमारी को बनाया गया है ,जिनका मोबाइल नंबर 9431005032 है। दरौंदा के कंट्रोल रूम का फोन नंबर 06154 242430 व बड़हरिया के लिये फोन नंबर 06154 291313 है ,इसके प्रभारी जिला समाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक हिमांशू पांडे को बनाया गया है,जिनका मोo नंबर 9773607414 है।उधर गोरयाकोठी के लिये बनाये गये कंट्रोल रूम का नंबर 06154 291327 तथा महाराजगंज के लिये फोन नंबर 06154 242440 जारी किया गया है,जिसके प्रभारी अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सीवान आलेख कुमार शर्मा को बनाया गया है.जिनका मोo.नंo 8400233991है।
इसके अलावा विधानसभावार 65 जोनल दंडाधिकारी, 291 सेक्टर पदाधिकारी के साथ ही 24 त्वरित कार्यबल तैनात रहेंगे, ताकि शांतिपूर्ण, भयमुक्त एवम निष्पक्ष तरीके से चुनाव संपन्न कराया जा सके।इस अवसर पर उप निर्वाचन पदाधिकारी सिवान, विशेष कार्य पदाधिकारी गोपनीय शाखा सिवान, जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी सिवान, नोडल पदाधिकारी मीडिया/एमसीएमसी/पैड न्यूज कोषांग तथा अवर निर्वाचन पदाधिकारी सिवान सदर सहित प्रिंट एवम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।

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Inclusive Education Need for Curriculum Development विषय पर एक दिवसीय सतत पुनर्वास शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित

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समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास, पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तीकरण केन्द्र (सी.आर.सी.) – गोरखपुर (एन.आई.ई.पी.वी.डी.) दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मन्त्रालय, भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन माध्यम से Inclusive Education Need for Curriculum Development विषय पर एक दिवसीय सतत पुनर्वास शैक्षिक कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया।

इस कार्यक्रम में विभिन्न जनपदों एवं राज्यों से पुनर्वास व्यावसायिकों ने प्रतिभाग किया ।

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डीएम ने सदर अस्पताल का किया औचक निरीक्षण,ड्यूटी से गयाब नेत्र चिकित्सक से मांगा स्पष्टीकरण

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लोकतंत्र न्यूज़ नेटवर्क, सिवान-; आइएएस मुकुल कुमार गुप्ता के सिवान में बतौर जिलाधिकारी पदभार संभालने के साथ ही सरकारी विभागों में हड़कंप मचा हुआ है।डीएम के इस कार्यशैली से एकतरफ जहां आम जनता मुग्ध होकर भूरी-भूरी प्रशंसा कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ सिविल सर्जन से साठ गांठ कर रोस्टर ड्यूटी से हमेशा गायब रहने वाले भ्रष्ट कर्मचारियों एवं भ्रष्ट डॉक्टरों में बेचैनी देखी जा रही है।इसका कारण यह है कि जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता पदभार संभालने के साथ ही कार्यालयों का लगातार औचक निरीक्षण कर रहे हैं।इसी क्रम में डीएम श्री मुकुल कुमार गुप्ता के द्वारा शुक्रवार को सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया गया। इस क्रम में विभिन्न वार्डों यथा ICTC केंद्र, MCH Ward, Male Ward, Emergency Ward, X-Ray, Pathology, NCD रूम, Dialysis,OPD केंद्र Postmartom/Injury का निरीक्षण किया गया।
साथ ही सदर अस्पताल में पानी व्यस्वथा, जेनेरेटर की व्यवस्था, मरीजों के बेड आदि की व्यवस्था की जाँच की
गयी जो संतोषजनक पाया गया। वहीं अस्पताल परिसर में साफ – सफाई की व्यवस्था असंतोषजनक पाया गया। जिला पदाधिकारी द्वारा BHM को चेतवानी दी गई कि पुरे अस्पताल की नियमित साफ – सफाई होनी चाहिए।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पंजी में ससमय संधारित नहीं होने के कारण जिला पदाधिकारी महोदय द्वारा निराशा जताई गई एवं निदेश दिया गया कि ऐसे मामलो की सूची तैयार की जाए। चिकित्सा अभिलेखों की जाँच की गई एवम पाया गया कि injury रिपोर्ट लिखने में अनियमिता बरती जाती है इस पर जिला पदाधिकारी महोदय द्वारा निराशा जताई गयी एवम चिकित्सा अभिलेखों को ससमय और सुचारु रूप से लिखने का निदेश दिया गया।
ART केंद्र/ ICTC की जाँच की गयी एवम पाया गया की ससमय दवाइयाँ एवम जाँच की जाती है।
OPD – नेत्र, महिला opd , अल्ट्रासाउंड आदि की जाँच की गयी।

OPD के निरीक्षण के क्रम मे पाया गया की वाह्य विभाग ड्यूटी रोस्टर के हिसाब से चिकित्सक अपने ड्यूटी पर उपस्थित नही थे। नेत्र – OPD के चिकित्सक अनुपस्थि पाए गए। जिला पदाधिकारी ने सिविल सर्जन को नेत्र -OPD चिकित्सक डॉ शशांक कुमार से स्पष्टीकरण करने का निदेश दिया।
प्रसव रूम एवं लेबर रूम का निरीक्षण किया गया।निरीक्षण के क्रम में पाया गया की प्रसव रूम में साफ – सफाई नहीं थी।जिला पदाधिकारी द्वारा क्वालिटी चेकर एवं BHM को प्रसव रूम का नियमित निरीक्षण कर सुव्यवस्थित ढंग से रख – रखाव एवं साफ – सफाई करने का निदेश दिया ऐसा नहीं होने पर उनपर कड़ी करवाई की जायेगी।

साथ ही अस्पताल में आयुष्मान योजना के लाभ पाने आये आवेदक से मिले। जिला पदाधिकारी ने DPM (स्वास्थ्य) को आवेदक को जल्द से जल्द योजना का लाभ देने के लिए निदेशित किया।
प्रभारी जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, सिवान।

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