जुर्म
सिद्धू मुसेवाला की हत्या के बाद जो खुलासे हो रहे हैं उससे हमारी न्याय व्यवस्था और दंड विधान का खोखलापन एक बार फिर हुआ उजागर
प्रसिद्ध पंजाबी गायक सिद्धू मुसेवाला की हत्या के बाद जो खुलासे हो रहे हैं उसने हमारी न्याय व्यवस्था और दंड विधान का खोखलापन एक बार फिर उजागर हुआ है। बताया जा रहा है की इस हत्याकांड में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का हाथ है। पुलिस की पूछताछ में उसने यह स्वीकार भी किया है। लॉरेंस दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। इसके बावजूद उसने हत्या करवा दी। फिर उसे जेल में बंद करने का क्या लाभ ?
यह कोई पहली घटना नहीं है। यह सब जानते हैं की भारत की जेलें अपराधियों के लिए सबसे सुरक्षित अड्डा है। यहां सरकार के मेहमान बन कर वे सुरक्षित तरीके से अपने गिरोह संचालन करते हैं। हत्या, लूट, अपहरण, रंगदारी जैसे अपराध करवाते हैं। जेल में उन्हें हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जेलर हाथ बांधे उनका हुकुम बजाते हैं। कमजोर कैदी उनकी सेवा में जुटे रहते हैं। कई बार तो उनके जेल से बाहर निकल कर दिल बहलाने की ख़बरें भी आती हैं। जेल में उनका दरबार सजता है। वहां से वे हुक्म जारी करते हैं । सरकारी आदेशों का भले ही पालन न हो, उनके आदेशों का पूरी तरह पालन होता है।
इस चर्चा का मतलब यह बताना है की अपराधियों को पकड़ने, उन्हें सजा स्वरूप जेलों में बंद करने की प्रक्रिया अपराध नियंत्रण में नाकाम हो चुकी है। अपराधियों की संख्या घटने के बजाय और बढ़ रही है। भारत में जेलों की परिकल्पना सुधार गृह के रूप में की गई थी । उद्देश्य अपराधियों को वहां रख कर सुधारना था । क्या यह सुधार हो रहा है ? पता नहीं सरकार ने इसपर कोई स्टडी कराई है या नहीं। अगर ऐसा कोई अध्ययन नहीं है तो अविलम्ब कराया जाना चाहिए। इससे मौजूदा दंड व्यवस्था की विफलता स्पष्ट हो जाएगी।
यह तो हुई जेलों की बात। अब न्याय व्यवस्था पर नजर डालें तो वहां भी स्थिति निराशाजनक ही है। हमारी न्यायपालिका कानून प्रिय नागरिकों में कोई उत्साह या अपराधियों में भय पैदा करने में विफल रही है। उल्टा जो कानून प्रिय नागरिक क्षणिक आवेश में कोई गुनाह कर बैठते हैं वे ज्यादा प्रताड़ित हो जाते हैं और जो पेशेवर अपराधी हैं वे मौज में रहते हैं। वे जेल के अंदर रहे या बाहर कोई फर्क नहीं पड़ता।
न्याय व्यवस्था भी अपराधियों को सजा सुनाते समय यह ध्यान रखती है की उसे सुधरने का मौका दिया जाए। सजा का यह उद्देश्य कितना पूरा हो रहा है, इसकी समीक्षा होनी चाहिए। जो जेल गए उसमें कितने सुधर कर लौटे और कितने और शातिर बन कर आये, इसका आंकड़ा एकत्र किया जाना चाहिए। अगर जेल सचमुच सुधार गृह या अपराधियों को अवरुद्ध करने के केंद्र होते तो लॉरेंस विश्नोई दूर तिहाड़ जेल में बैठ कर पंजाब में मुसेवाला की हत्या नहीं करवा पाता। यह सिर्फ एक अकेली घटना नहीं है। ऐसी घटनाएं आम हैं और हैरानी की बात यह है की सबकी जानकारी में है। फिर भी सरकार या प्रशासन के स्तर पर व्यवस्था में बदलाव की कोई पहल होती नहीं दिखती।
हमारी दंड व्यवस्था अपराधियों को भयभीत नहीं करती। वे जेल को ससुराल समझते हैं। हमें यह समझना होगा की कुछ लोगों की जीन में ही यह खामी होती है की खून -खराबा और अपराध करना उन्हें आनंदित करता है। ऐसे लोगों को जो आदतन अपराधी हैं, वे समाज और मानवता के दुश्मन हैं। उनके साथ कोई रियायत बरतने की जरूरत नहीं है। उन्हें समाज से बाहर किया जाना चाहिए। चंद लोगों की वजह से हम पूरे समाज की सुख शांति दाव पर नहीं लगा सकते । कानून प्रिय लोगों को अगर शांति और सम्मान का जीवन देना है तो अपराधियों से जीने का अधिकार छीनना होगा। पेशेवर अपराधियों को क़ानूनी तरीके से दुनिया से विदा करना ही एकमात्र विकल्प है।
इस दिशा में गंभीरता से सोचने की जरुरत है। सिविल सोसायटी को इसके लिए सरकार और न्यायपालिका पर दबाव बनाना होगा। यह काम आसान नहीं है , क्योंकि अपराधियों से लाभान्वित होनेवालों की भी एक बड़ी तादाद है। बड़े -बड़े नेता और अधिकारी भी अपराधियों की मदद करते हैं। उनकी सेवा लेते हैं। बोहरा कमेटी की रिपोर्ट ने इस गंठजोड़ का खुलासा किया था। इसलिए उसे दबा दिया गया। यह तबका अपराधियों के खात्मे का पुरजोर विरोध करेगा। अड़ंगे लगाएगा। मानवाधिकारवादी विरोध में आवाज उठाएंगे। लेकिन अगर अपराधमुक्त समाज बनाना है तो अपराधियों को ख़त्म करना ही एकमात्र उपाय है।
मौजूदा कानून कितना असरदार है यह सर्वत्र दिख रहा है। जैसे कश्मीर में आतंकियों को खदेड़ -खदेड़ कर एनकाउंटर किया जा रहा है उसी तर्ज पर पेशेवर अपराधियों का भी एनकाउंटर किया जाना चाहिए। वरना कानून प्रिय नागरिक भेंड़ -बकरियों की तरह जीवन जीने के लिए अभिशप्त होंगे।
नोट-पोस्ट साभार – वरिष्ठ टीवी जर्नलिस्ट श्री प्रवीण बागी के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है।
#बागी #अपराधीमुक्तसमाज #बदलोकानून
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सिवान में फाइनेन्सकर्मी की गोली मारकर हत्या
लोकतंत्र न्यूज़ नेटवर्क, सिवान -; बेख़ौफ़ अपराधियों ने बुधवार की रात करीब 7 बजे एक फाइनेंसकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक की पहचान छपरा जिले के डेरनी थानाक्षेत्र के डेरनी सुतिहाल गाँव निवासी जवाहर प्रसाद के पुत्र नीरज कुमार के रूप में हुई है।सिवान एसपी ने बताया कि नीरज कुमार भारत फाइनेंस कंपनी में फील्ड आफिसर का काम करते थे। बुधवार की रात 6:30 बजे हुसैनगंज थानाक्षेत्र के सहबाज पुर-हबीबनगर के समीप अज्ञात अपराधियों ने बाइक और पैसा छीनने का प्रयास किया इसका विरोध करने पर उन्होंने नीरज कुमार को गोली मार दिया जिससे उनकी मौत हो गई।पुलिस द्वारा शव को कब्ज़े में लेकर सदर अस्पताल ले जाने के क्रम में नीरज की मौत हो गई। पुलिस ने घटनास्थल से नीरज कुमार का हेलमेट व मोबाइल बरामद कर अज्ञात अपराधियों की पहचान कर गिरफ्तारी हेतु छापेमारी कर रही है।
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RPF ने थावे में छापेमारी कर टिकट जालसाज को किया गिरफ्तार,अवैध टिकट व कैश ज़ब्त
लोकतंत्र न्यूज़ नेटवर्क, वाराणसी -; मंडल रेल प्रबंधक श्री विनीत कुमार श्रीवास्तव के निर्देशन एवं वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त डा अभिषेक के नेतृत्व में रेलवे सुरक्षा बल,वाराणसी द्वारा रेल सम्पत्ति की सुरक्षा एवं अवैध सामानों की धर-पकड़, यात्रियों की सुविधा हेतु रेल आरक्षित टिकटों के अवैध कारोबार की रोकथाम सहित यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने का निरन्तर प्रयास किया जा रहा है।
इसी क्रम में रेलवे सुरक्षा बल पोस्ट थावे के प्रभारी निरीक्षक देवेन्द्र प्रताप ने सहायक उपनिरीक्षक- उमाकान्त मिश्रा, हेड कांस्टेबल सन्तोष कुमार गुप्ता, का. विनय कुमार सिह , कॉन्स. अभिषेक कुमार भारती एवं रेलवे सुरक्षा बल पोस्ट- सिवान के जवानो के साथ थावे स्थित दुकान विजय कम्प्यूटर टूर एण्ड ट्रेवेल्स पर छापा मारकर ई-टिकटो का अवैध कारोबार करने वाले विजय कंप्यूटर टूर एण्ड ट्रेवल्स के संचालक अमलेश कुमार पुत्र गोपाल सिंह, निवासी ग्राम – त्रिलोकपुर, थाना- उचकागांव, जिला गोपालगंज बिहार उम्र 24 वर्ष को 34 अदद रेल आरक्षित ई – टिकट जिनकी किमती रु. 47978/- है । in टिकटों में 15 टिकट सामान्य ई- टिकटों कीमत रु 20816.60/- यात्रा शेष है व शेष 19 ई-टिकट पर यात्रा पूर्ण की जा चुकी है की कीमत रु. 27161.40/- सभी तत्काल रेल ई- टिकट के साथ गिरफ्तार किया गया ।
दुकान संचालक अमलेश कुमार फर्जी पर्सनल यूजर आई.डी पर रेलवे आरक्षित ई-टिकट तत्काल को प्रतिबन्धित साफ्टवेयर सिक्का कि मदद से बनाकर जरुरतमंदो को 400/- रु. से 500/- रू प्रति यात्री टिकट अतिरिक्त मूल्य लेकर एवं 200/- रु. से 300/- रु. प्रति यात्री सामान्य टिकट पर अतिरिक्त मूल्य लेकर बेचता पाया गया है। दुकानदार के पास कोई एजेन्ट आई.डी नहीं मिली किन्तु प्रतिबंन्धित साफ्टवेयर – सिक्का_V2/ Gaddar तथा 19 व्यक्तिगत यूजर आई.डी अवैध ई –टिकट बनाना पाया गया है । इस अपराध का पंजीकरण – मु.अ.सं . 205/2023, अन्तरगत धारा 143 रेल अधिनियम के अंतर्गत सरकार बनाम . अमलेश कुमार रे.सु.ब.पोस्ट- थावे जं. दिनाँक- 23.08.2023 , पंजीकृत किया गया। इस अपराधिक मामले की जाँच उप निरीक्षक श्री रूपेश कुमार शुक्ला द्वारा की जा रही है ।
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डीएम के निर्देश पर 9 शराब माफियाओं के घर छापेमारी में 62 कार्टन शराब ज़ब्त,तीन नामज़द
लोकतंत्र न्यूज नेटवर्क, सिवान – ; जिला पदाधिकारी सिवान श्री मुकुल कुमार गुप्ता के निदेशानुसार विशेष छापेमारीअभियान के अंतर्गत मद्य (शराब ) निषेध सम्ब्नधित छापेमारी की गयी। यह छापेमारी शुक्रवार 30 जून को रात्रि 11:00 बजे से 1 जुलाई पूर्वाह्न 3:00 बजे तक चली। इस छापेमारी में सिवान ज़िले के चिन्हित 9 माफियाओं के घरो पर छापेमारी की गयी। छापेमारी के दौरान प्रतापपुर में प्रकाश सिंह नामक शराब माफिया के स्थान पर भारी मात्रा में 62 कार्टूनों से भरा 558 लीटर बंटी-बबली शराब को जब्त किया गया। इसके साथ ही एक स्कार्पियो गाड़ी और 2 बाइक को जब्त किया गया। उत्पाद अधिनियम के तहत प्रकाश सिंह एवं 2 नामजद प्रिंस प्रताप सिंह और उज्जवल सिंह पर फरार केस दर्ज किया गया।
छापेमारी उत्पाद अधीक्षक सिवान श्री प्रियरंजन के नेतृत्व में किया गया जिनके साथ उत्पाद निरीक्षक श्री समरजीत सिंह , सब – इंस्पेक्टर श्री अनूप कुमार, धर्मेंद्र कुमार एवं सुमेधा कुमारी, सहायक उपनिरीक्षक सुनील यादव और बसंत महतो एवं सैप के फाॅर्स मौजूद थे।